RAKHI Saroj

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लेखनी प्रतियोगिता -17-Nov-2023

मेरे जख्म 
मेरे जख्मों का रंग जानें 
क्यूं तुम नहीं देख पाएं
क्या दर्द की पीड़ा का 
एहसास मेरी सीमाओं को
बांधे रखता है तेरे तलक चल 
कर ये दिल को क्यूं 
बार-बार लाता है
समझ मेरे आंसूओं को 
अब भी नहीं आता है
बस एक सवाल 
मन में रह जाता है
मेरे जख्मों का रंग जानें 
क्यूं नहीं तुम देख पाएं
क्यूं मेरे आंसुओं को निगाहों 
का बेहिसाब गीलापन मिला। 
 राखी सरोज
नई दिल्ली 

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1 Comments

Gunjan Kamal

17-Nov-2023 07:13 AM

👏👌

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